विधान परिषद गठन की तारीख का प्रस्ताव केंद्र को भेजें या संशोधनों का, अगली बैठक में होगा विचार

विधान परिषद के गठन की तारीख तय कर प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाए या पहले उसके लिए होने वाले संशोधनों का प्रस्ताव, इसका फैसला उच्च स्तर पर होगा। विधान परिषद को लेकर होने वाली अगली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। विधान परिषद के लिए प्रदेश में कुछ संशोधनों की जरूरत है। मुख्य रूप से उसकी सदस्य संख्या 76 रखने के लिए संशोधन करना होगा। इसके साथ एक महत्वपूर्ण संशोधन स्थानीय प्राधिकारी संस्थाओं के नाम बदलने का भी है। इसमें जिला, जनपद व ग्राम पंचायत के नाम जोड़ना हैं। इसके प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजने होंगे। विधान परिषद के लिए इन प्रस्तावों पर केंद्र ही संशाेधन करेगा। इसके अलावा कुछ छोटे संशोधन भी करने होंगे।


गठन की तारीख का प्रस्ताव भी पहले भेजा गया, तो भी बाद में इन संशोधनों काे करना ही होगा। आगामी दिनों में होने वाली बैठक में इन मुद्दों पर विचार होगा। इसके लिए जो औपचारिकताएं करना हैं, उसके लिए विभागों को जिम्मेदारी देने पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा परिषद गठन की अन्य औपचारिकताओं पर विचार के लिए जल्द ही संबंधित विभागों की बैठक होगी। इसमें संसदीय कार्य विभाग, नगरीय विकास एवं आवास, वित्त, विधि, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चुनाव आयोग, विधानसभा आदि के उच्च अधिकारी शामिल होंगे।


परीक्षण के लिए विधि विभाग भेजी संक्षेपिका
प्रदेश में परिषद गठन के लिए संसदीय कार्य विभाग ने जाे संक्षेपिका बनाई है, उसमें कानूनी पहलू भी शामिल हैं। उसे परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेजा गया था। इस संक्षेपिका में उल्लेख किया था कि संविधान के अनुच्छेद 169 (1) में विधान परिषद के लिए प्रावधान है। यदि विधानसभा से संकल्प पारित हो गया है, तो संसद विधान परिषद के लिए उपबंध कर सकेगी। मप्र के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 33 (1) व संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम 1956 की धारा 8 (2) में इसकी व्यवस्था है। इसके अनुसार यहां विधानसभा में संकल्प पारित कराना आवश्यक नहीं है।